MAHAKAL LOK ,MAHAKAL KI NAGRI
महाकाल की नगरी उज्जैन- उज्जैन मध्य प्रदेश का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक ,सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र है, जिसे प्राचीनकाल में उज्जयिनी या अवन्तिका के नाम से जाना जाता था।
इसका इतिहास वैदिक काल से भी प्राचीन है और इसका उल्लेख विभिन्न पुराणों, वेदों और उपनिषदों में मिलता है। महाभारत काल में यह ‘विंद’ और ‘अनुविंद’ के राज्य के रूप में प्रसिद्ध था,यह विश्व के प्राचीनतम शहरो में से एक है |
उज्जैन का सबसे प्रतापी और महान शासक राजा विक्रमादित्य थे , जिनके नाम से विक्रम संवत शुरू हुआ। विक्रमादित्य के शासन काल में उज्जैन में बहुत उन्नति हुई और इसी कारन इसे और भी में जाना जाने लगा। उनके शासन के बाद परमार वंश ने यहां शासन किया, जिनमें से अंतिम शासक सिलादित्य थे।
सिंहस्थ कुम्भ मेला
1234 में दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश ने उज्जैन पर आक्रमण किया, जिससे यहां के मंदिरों और सांस्कृतिक धरोहरों को बहुत क्षति पहुंची। इसके बाद मुगलों के शासनकाल में सम्राट अकबर ने उज्जैन की रक्षा के लिए किलेबंदी करवाई और इसे फिर से पुनर्निर्मित किया।
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उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, काल भैरव मंदिर, और हरसिद्धि मंदिर जैसे अनेक धार्मिक स्थल हैं, जो इसे एक प्रमुख तीर्थस्थान बनाते हैं। यहां प्रति बारह वर्ष में सिंहस्थ कुम्भ मेला आयोजित होता है, जो लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है | जो यहाँ की संस्कृति की प्रमुख विषेशता है |
महाकाल की नगरी उज्जैन-
महाकाल की नगरी उज्जैन- न केवल एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह प्राचीन काल से लेकर आधुनिक समय तक अपनी विशेष पहचान बनाए हुए है। जो इसे अपनी एक नयी पहचान देता है |
MAHAKALESHWAR MANDIR –
महाकालेश्वर मंदिर, जो उज्जैन में स्थित है, यह भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक प्रमुख ज्योतिर्लिंग है। यह मंदिर भगवान (महाकाल ) को समर्पित है और इसे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन और रोचक है और इसकी स्थापना के बारे में कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं।
पौराणिक कथाएं और इतिहास
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, एक बार भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु के बीच सर्वोच्चता को लेकर विवाद हुआ। भगवान शिव ने एक अंतहीन ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट होकर उनकी परीक्षा ली, जिसमें ब्रह्मा जी असत्य बोलते हैं और भगवान विष्णु सत्य स्वीकार करते हैं। इस घटना के बाद, भगवान शिव ने स्वयं को उज्जैन में महाकाल के रूप में स्थापित किया|
महाकाल की नगरी उज्जैन-
कालभैरव मंदिर
मंदिर की संरचना
महाकालेश्वर मंदिर तीन भागो (खंडा)में विभाजित है –
निचला खंड महाकालेश्वर, मध्य खंड ओंकारेश्वर और ऊपरी खंड में श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर। विशेष रूप से, नागचन्द्रेश्वर शिवलिंग के दर्शन केवल नागपंचमी के दिन ही किए जा सकते हैंऔर यह हम्मरे लिए और भी पावन होता है
ऐतिहासिक घटनाएँ
महाकालेश्वर मंदिर का पुनर्निर्माण 11वीं शताब्दी में हुआ था, लेकिन 1234-35 ईस्वी में क्षतिग्रस्त कर दिया था। बाद में मराठा शासकों ने इस मंदिर का पुनः निर्माण करवाया और इसे पुनर्स्थापित किया|
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धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
महाकालेश्वर मंदिर हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण है और इसे तीर्थयात्रियों द्वारा विशेष रूप से पूजा जाता है। महाशिवरात्रि और श्रावण मास में हर सोमवार को यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। उज्जैन के महाकाल को यहां का राजा माना जाता है किसी अन्य राजा को यहां रात बिताने की अनुमति नहीं होती है यह बात िसिटिहासकारो द्वारा कही गयी |
महाकालेश्वर मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह अपने अद्वितीय वास्तुशिल्प ,भौगोलिक और ऐतिहासिक महत्व के कारण भी विशेष स्थान रखता है। इसकी पूजा और महिमा का उल्लेख कई पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में मिलता है, जिससे इसकी प्राचीनता और महत्व स्पष्ट होता है। यहाँ महाकाल का प्रतिदिन श्रृंगार किया जाता है
संदीपनि आश्रम –
महाकालेश्वर मंदिर, जो उज्जैन में स्थित है, यह भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक प्रमुख ज्योतिर्लिंग है। यह मंदिर भगवान शि(महाकाल ) को समर्पित है और इसे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन और रोचक है और इसकी स्थापना के बारे में कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं।
पौराणिक कथाएं और इतिहास
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, एक बार भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु के बीच सर्वोच्चता को लेकर विवाद हुआ। भगवान शिव ने एक अंतहीन ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट होकर उनकी परीक्षा ली, जिसमें ब्रह्मा जी असत्य बोलते हैं और भगवान विष्णु सत्य स्वीकार करते हैं। इस घटना के बाद, भगवान शिव ने स्वयं को उज्जैन में महाकाल के रूप में स्थापित किया|
महाकालेश्वर मंदिर तीन भागो (खंडा)में विभाजित है –
निचला खंड महाकालेश्वर, मध्य खंड ओंकारेश्वर और ऊपरी खंड में श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर। विशेष रूप से, नागचन्द्रेश्वर शिवलिंग के दर्शन केवल नागपंचमी के दिन ही किए जा सकते हैंऔर यह हम्मरे लिए और भी पावन होता है
ऐतिहासिक घटनाएँ
महाकालेश्वर मंदिर का पुनर्निर्माण 11वीं शताब्दी में हुआ था, लेकिन 1234-35 ईस्वी में क्षतिग्रस्त कर दिया था। बाद में मराठा शासकों ने इस मंदिर का पुनः निर्माण करवाया और इसे पुनर्स्थापित किया|
महाकाल की नगरी उज्जैन-
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व-
महाकालेश्वर मंदिर हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण है और इसे तीर्थयात्रियों द्वारा विशेष रूप से पूजा जाता है। महाशिवरात्रि और श्रावण मास में हर सोमवार को यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। उज्जैन के महाकाल को यहां का राजा माना जाता है किसी अन्य राजा को यहां रात बिताने की अनुमति नहीं होती है यह बात िसिटिहासकारो द्वारा कही गयी |
महाकालेश्वर मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह अपने अद्वितीय वास्तुशिल्प ,भौगोलिक और ऐतिहासिक महत्व के कारण भी विशेष स्थान रखता है। इसकी पूजा और महिमा का उल्लेख कई पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में मिलता है, जिससे इसकी प्राचीनता और महत्व स्पष्ट होता है। यहाँ महाकाल का प्रतिदिन श्रृंगार किया जाता है