बैतूल मप्र के दक्षिण उत्तर में छिंदवाड़ा जिले के पश्चिम में स्तिथ एक जिला है , जो प्रकृति के मनोरम दृश्य को अपने में सवारे हुए है-
यहाँ की संस्कृति भौगोलिक क्षेत्र जनजातीय पौराणिक स्थल हमें अपने इतिहास की याद दिलाते है ताप्ती ,वर्धा और अन्य नदियों का उद्गम स्थल है
BETUL – भारत की हृदय स्थली बैतूल जिला पवित्र ताप्ती नदी के उद्गम स्थल का गौरव प्राप्त किये है। दिल्ली -मद्रास रोड लाइन पर भोपाल- नागपुर के मध्य में स्थित है। अकबर महान के नौ रत्नों में से एक रत्न टोडरमल के द्वारा कराये गये सर्वेक्षण से ज्ञात अखंड भारत के केन्द्र बिन्दु पर बसा यह जिला आदिवासी संस्कृति ,समाज, रहन सहन को दर्शाता है।
BETUL – प्रकृति की गोद में अपने सौंदर्य को छुपाये हुएआदिवासी क्षेत्र बैतूल के दक्षिण में सतपुडा की श्रृंखलाओं में फैला सुन्दर क्षेत्र है। उत्तर में नर्मदा की घाटी और दक्षिण में बरार का समतल मैदान है। यह जिला 21”22′ – 22”23′ उत्तरी अक्षांश एवं 77”-10′ – 78”-33′ देशांतर के मध्य स्थित है। इसके उत्तर में होशंगाबाद जिला, दक्षिण में महाराष्ट्र प्रदेश का अमरावती जिला, पूर्व में छिंदवाडा जिला और पश्चिम में पूर्व निमाड (खण्डवा) जिला स्थित है।
बैतूल जिला सतपुड़ा की पर्वत श्रृंखलाओं –
बैतूल जिला सतपुड़ा की पर्वत श्रृंखलाओं में समुद्र सतह से 365 मीटर और इससे अधिक उंचाई पर बसा हुआ है। पर्वत श्रृंखला पूर्व की ओर अधिक उंची है। जो पश्चिम की ओर कम होती जाती है। औसत उंचाई 653 मीटर उंची है। चार भागों में विभाजित श्रृंखलाएं (1) सतपुडा पर्वत श्रृंखला (2) तवा मोरण्ड घाटी (3) सतपुडा पठार के बीच में (4) ताप्ती की घाटी है।
सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला के दोनो ओर तवा और नर्मदा स्थित है। श्रृंखला में कई उूंची चोटियां है। जिनमें सबसे उंची चोटी पूर्व में किलनदेव 1107 मीटर है। चोटियों पर ही पुराने किले बने थे, जो पूरे क्षेत्र में प्रशासन के लिए उपयोगी थे। तवा घाटी समुद्र सतह से 396 मीटर उंचाई पर है। घाटी का अधिक भाग कीमती वृक्षों (पमुख सागौन) से ढंका हुआ है और किनारे की भूमि उपजाउ है।
BETUL – प्रकृति की गोद में अपने सौंदर्य को छुपाये हुए
सतपुड़ा का पठार, जिले के पूर्वी भाग में उंची-उंची चोटियां उत्तर तक फैली है। इसमें सबसे उंचा पठार 685 मीटर चैडी पटटी के रूप में फैला है। मुलताई तहसील 791 मीटर, भैंसदेही तहसील के खामला ग्राम के पश्चिम की ओर सबसे उंची चोटी 1137 मीटर है जो प्रदेश की पचमढी के बाद दूसरी उंची चोटी है ताप्ती घाटी 15 मीटर लंबी और 20 मीटर चैडी पट्टिका के रूप में है, जो दामजीपुरा तक फैली है।
जिले की प्रमुख नदी –
जिले की प्रमुख नदियों में से प्रमुख ताप्ती, तवा, माचना, वर्धा, बेल, मोरण्ड एवं पूर्णा आदि है। ताप्ती दक्षिण की प्रमुख नदियों में से एक, जो पुराणों के अनुसार सूर्य की पुत्री महलाई है। इसका उद्गम मुलतापी (मुलताई) के निकट स्तिथ तालाब से हुआ है। यह मुलताई के उत्तर में सतपुड़ा का पठार से 790 मीटर उंचाई से 21”48′ उत्तुर से 78”15′ पूर्व से निकली है
, जो गुजरात प्रदेश के सूरत जिले से होती हुई अरब सागर में जा मिलती है। इसकी कुल लंबाई 701.6 किलोमीटर हैतवा नदी जिले के उत्तर पूर्व से प्रवेश करती है, जेा छिंदवाड़ा जिले से निकली है। इसमें आगे माचना नदी मिल जाती है, जो ढोढरामोहार के आगे होशंगाबाद जिले में प्रवेश करती है। जिस पर रानीपुर के पास बहुउद्देशीय वृहद परियोजना (तवा बांध) का निर्माण किया गया है। जिले के सारनी ग्राम में स्थित सतपुड़ा थर्मल पावर स्टेशन के उपयोग हेतु बांध बनाया गया है।
BETUL Madhya Pradesh
वर्धा नदी मुलताई तहसील के उत्तर पूर्व से निकलकर 35 किलोमीटर दूरी पार कर महाराष्ट्र प्रदेश में प्रवेश करती है। जो आगे चलकर चन्द्रपुर जिले के वेनगंगा नदी में मिल जाती है। (467 किलोमीटर) माचना नदी जिले के पूर्व से निकलकर उत्तर की ओर बैतूल की उत्तरी सीमा पर बहती है और ढोढरामोहार के पास तवा नदी में मिल जाती है। जिसकी कुल लंबाई 185 किलोमीटर है।
बालाजीपुरम -भारत का सातवां तीर्थ स्थल
बैतूल बालाजीपुरम मंदिर मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर भगवान वेंकटेश्वर (बालाजी) को समर्पित है, जो हिंदू देवता विष्णु का एक रूप हैं। यह मंदिर धार्मिक और पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है और वर्ष भर कई भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करता है।
बैतूल बालाजीपुरम मंदिर की कुछ विशेषताएं हैं:
BETUL – प्रकृति की गोद में अपने सौंदर्य को छुपाये हुए
वास्तुकला और डिज़ाइन – बालाजीपुरम मंदिर का वास्तुकला दक्षिण भारतीय मंदिर शैली को प्रतिबिंबित करता है। मुख्य मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति स्थापित है, जो तिरुपति में स्थित मूर्ति के समान है।
विशेष महत्व – भक्त यहाँ आकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और प्रार्थना करते हैं। इसे असीम आध्यात्मिक ऊर्जा और भक्ति का स्थान माना जाता है।
त्योहार – बालाजी मंदिर में विभिन्न हिंदू त्योहारों को भव्यता के साथ मनाया जाता है, विशेष रूप से वार्षिक ब्रह्मोत्सवम, जो बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है। अन्य त्योहार जैसे दिवाली, राम नवमी और जन्माष्टमी भी बहुत धूमधाम से मनाए जाते हैं।
सेवा और सुविधा – मंदिर परिसर में आगंतुकों के लिए कई सुविधाएँ उपलब्ध हैं, जैसे कि गेस्टहाउस, भोजन कक्ष और पार्किंग की सुविधाएँ। यह भक्तों की जरूरतों को पूरा करने और उनकी यात्रा को आरामदायक बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
बालाजीपुरम प्राकृतिक सौंदर्य के बीच स्थित है, जो पूजा और ध्यान के लिए एक शांत वातावरण प्रदान करता है। मंदिर के चारों ओर का क्षेत्र अच्छी तरह से बनाए रखा गया है, जिसमें बगीचे और पगडंडियाँ शामिल हैं जो आगंतुकों के अनुभव को और भी सुखद बनाते हैं।
BETUL – प्रकृति की गोद में अपने सौंदर्य को छुपाये हुए
मुक्तागिरी – जैन मंदिर-
मुक्तागिरी एक प्रसिद्ध जैन तीर्थ स्थल है, जो मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में स्थित है। यह स्थान जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और पर्यटन स्थल है। मुक्तागिरी को इसकी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।
यह स्थान जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और पर्यटन स्थल है। मुक्तागिरी को इसकी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।
मुक्तागिरी
मुक्तागिरी एक प्रसिद्ध जैन तीर्थ स्थल है, जो मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में स्थित है। यह स्थान जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और पर्यटन स्थल है। मुक्तागिरी को इसकी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।
की महत्वपूर्ण विशेषता –
- स्थान और पहुँच: मुक्तागिरी बैतूल जिले में स्थित है और आम्बाड़ा गांव के पास स्थित है। यह स्थल सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला में बसा हुआ है, जो इसे एक खूबसूरत प्राकृतिक परिदृश्य प्रदान करता है। बैतूल और महाराष्ट्र के अकोला से मुक्तागिरी तक सड़क मार्ग द्वारा पहुँचा जा सकता है।
- प्राचीन जैन मंदिर: मुक्तागिरी में 52 जैन मंदिरों का समूह है, जो पर्वत की ढलानों पर बने हुए हैं। इन मंदिरों की वास्तुकला और मूर्तिकला अद्वितीय है और जैन धर्म की समृद्ध विरासत को दर्शाती है। मुख्य मंदिर में भगवान आदिनाथ की प्रतिमा स्थापित है।
- धार्मिक महत्व: यह स्थान जैन धर्म के दिगंबर संप्रदाय के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण है। माना जाता है कि यहां कई जैन संतों ने तपस्या और ध्यान किया था। इसके अलावा, यह स्थान सिद्धक्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है, जहां कई संतों ने मोक्ष प्राप्त किया था।
- पर्व और उत्सव: मुक्तागिरी में प्रमुख जैन त्योहारों जैसे महावीर जयंती, पर्युषण पर्व और दीपावली का विशेष आयोजन होता है। इन अवसरों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहाँ आते हैं और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।
- प्राकृतिक सौंदर्य: मुक्तागिरी की प्राकृतिक सुंदरता इसे एक आकर्षक पर्यटन स्थल बनाती है। यहाँ के झरने, हरियाली और पहाड़ियाँ पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। यहाँ का वातावरण शांत और सुकून भरा है, जो ध्यान और साधना के लिए उपयुक्त है।