UNISCO का विश्व धरोहर स्थल जो भारतीय स्थापत्य कलां को एक नई पहचान देता है एक नई मिसाल हमारे पूर्वजो की –
खजुराहो (Khajuraho) – खजुराहों के मंदिर चंदेल राजाओं द्वारा बनवाए गए खूबसूरत मंदिरों में एक है इनकी की गई कलाकारी कई बार मूर्तियां खुद बोलती हुई नजर आती हैं। खजुराहो यात्रा के दौरान यही पास स्थित पन्ना नैशनल पार्क भी है।
खजुराहो के कलात्मक मंदिर दुनिया को भारत में विश्व प्रसिद्ध हैं। यहाँ पत्थर की सहायता से उकेरी गई कलात्मकता उस समय की भारतीय कला का परिचय देती है।यहाँ मानव की कलाकृतियां इतनी सजीव लगती हैं कि मानों अभी बोल पड़ेंगी। इन खूबसूरत मंदिरों का निर्माण चंदेल और राजपूतों ने कराया था। इन मंदिरों का निर्माण 950 -1000 ad के बीच 100 साल के समय में हुआ। खजुराहो में कुल 85 मंदिर बनाए गए, जिनमें से अब मात्रा 22 बचे हुए हैं।
खजुराहो (Khajuraho) –
खजुराहो मंदिर भारतीय स्थापत्य कला का अद्वितीय उदाहरण हैं। ये मंदिर भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित हैं और विश्व धरोहर स्थलों में से एक माने जाते हैं। इन मंदिरों की विशेषता उनकी विविधता, उनके शैली और उनके कला साहित्य में उन्हें एक विशेष स्थान प्रदान करती है।
खजुराहो के मंदिर ने विश्व भर में प्रसिद्धि प्राप्त की है, खासकर उनकी अद्वितीय स्थापत्य कला के कारण। ये मंदिर भारतीय संस्कृति और धार्मिकता के प्रतीक हैं और इतिहास, कला और धर्म के संगम को दर्शाते हैं।
खजुराहो मंदिरों का निर्माण 950 ईसा पूर्व में शुरू हुआ और 1050 ईसा पूर्व में समाप्त हुआ। ये मंदिर राजपूत राजाओं के शासनकाल में निर्मित हुए थे और इन्हें चंदेल राजा धंगदेव के प्रचारक योगिनीपुरण का ग्रंथ के अनुसार बनाया गया था।
खजुराहो के मंदिर समृद्धतम काल में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के राज्यों के अधीन थे। इन मंदिरों का मुख्य उद्देश्य ध्यान में आने वाले विषयों को स्पष्ट करना और ध्यान में रखना था। इन मंदिरों में साहित्यिक कला की भव्यता, गाथाओं की शैली और धर्मीय मूल्यों का प्रतिष्ठान देखा जा सकता है।
खजुराहो मंदिरों की विशेषता उनके शिल्पकला में है। इन मंदिरों के शिल्पकला का अद्वितीयता और समृद्धता काले पत्थर के स्थापत्य कला में प्रदर्शित होती है। मंदिरों के दीवारों पर अनेक चित्रों में देवी-देवताओं की छवियाँ और उनके कथाएं बनाई गई हैं। इन चित्रों में कला की अद्वितीयता और विविधता देखी जा सकती है।
खजुराहो के मंदिरों में अद्वितीय स्थापत्य कला का प्रदर्शन होता है, जो आज भी लोगों को आकर्षित करता है। इन मंदिरों के अलावा, खजुराहो में कई प्राचीन भवन और स्थल हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
खजुराहो के मंदिर भारतीय स्थापत्य कला के अद्वितीय नमूने हैं जो मध्य प्रदेश राज्य के छतरपुर जिले में स्थित हैं। ये मंदिर हिंदू धर्म के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक हैं और विश्व धरोहर स्थलों की श्रेणी में आते हैं। खजुराहो के मंदिरों की नीलकंठ, वराह, चौसठ योगिनियां, लक्ष्मण और कंदारिया महादेव आदि प्रमुख मंदिर हैं।
UNISCO world heritage sites –
खजुराहो के मंदिर UNESCO द्वारा विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल हैं। इन मंदिरों को उनकी अद्वितीय स्थापत्य कला और कामुक स्त्री-पुरुष फिगर्स के लिए प्रसिद्ध है। खजुराहो के मंदिर 1986 में विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किए गए थे।
खजुराहो (Khajuraho) –
खजुराहो के कंदारिया महादेव मंदिर –
खजुराहो के कंदारिया महादेव मंदिर भारतीय स्थापत्य कला का एक अद्वितीय उदाहरण है। यह मंदिर खजुराहो के प्रमुख मंदिरों में से एक है और भगवान शिव को समर्पित है। इसका निर्माण 11वीं शताब्दी में हुआ था।
कंदारिया महादेव मंदिर की विशेषता उसकी विभिन्नता और आकर्षक शैली में है। इस मंदिर का भवन अत्यंत सुंदरता से बनाया गया है और इसकी शिल्पकला का अद्भुत उदाहरण है। मंदिर के अंदर भगवान शिव की विशाल मूर्ति स्थापित है, जिसके चारों ओर अनेक अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं।
इस मंदिर की भव्यता और सुंदरता को देखकर पर्यटक हैरान रह जाते हैं। यहां के दीवारों पर बने नक्काशी और शिल्पकला की खूबसूरती का कोई मुकाबला नहीं है।
कंदारिया महादेव मंदिर खजुराहो के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है और लोग यहां आकर अपने धार्मिक और आध्यात्मिक आकांक्षाओं को पूरा करते हैं। इस मंदिर के आसपास की प्राकृतिक सुंदरता भी इसे और आकर्षक बनाती है।
नीलकंठ मंदिर खजुराहो –
नीलकंठ मंदिर खजुराहो का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है जो भारतीय स्थापत्य कला के उत्कृष्ट उदाहरणों में से एक है। यह मंदिर खजुराहो के प्रमुख मंदिरों में से एक है और भगवान विष्णु को समर्पित है। इसका निर्माण 10वीं शताब्दी में हुआ था।
नीलकंठ मंदिर की विशेषता उसकी भव्य और विशाल संरचना में है। यह मंदिर विशेष रूप से उसकी स्थापत्य कला में उत्कृष्टता के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर उकेरे गए शिल्पकला के नक्काशी और भगवान विष्णु की विशाल मूर्ति आकर्षण का केंद्र बनाती है।
मंदिर के अंदर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित है, जो उनके विभिन्न अवतारों में हैं। यहां पर विष्णु के अवतारों के साथ ही उनके भक्तों की मूर्तियां भी हैं।
नीलकंठ मंदिर खजुराहो के पर्यटन के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यहां पर आने वाले पर्यटक अपने धार्मिक आदर्शों को समझने और मंदिर की सुंदरता का आनंद लेने के लिए आते हैं।
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Khajuraho mandir
नीलकंठ मंदिर भारतीय संस्कृति और परंपरा को दर्शाने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इसके अतिरिक्त, यह मंदिर भगवान विष्णु के आदर्श और उनके श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल भी है।
खजुराहो (Khajuraho) –
वराह मंदिर –
खजुराहो के वराह मंदिर भारतीय स्थापत्य कला का महत्वपूर्ण स्थल है। यह मंदिर खजुराहो के प्रमुख मंदिरों में से एक है और इसे भगवान विष्णु के अवतार, वराह, को समर्पित किया गया है। यह मंदिर खजुराहो में प्राचीन समय से ही मौजूद है और इसका निर्माण लगभग 9वीं शताब्दी में हुआ था।
वराह मंदिर की प्रमुख विशेषता उसकी स्थापत्य कला में है। यह मंदिर खजुराहो के प्रमुख बाजार के पास स्थित है और इसका स्थानीय पर्यटन में महत्वपूर्ण योगदान है। मंदिर का भवन अत्यंत सुंदरता से बनाया गया है और इसकी दीवारों पर उकेरी गई नक्काशियां इसे अद्वितीय बनाती हैं।
वराह मंदिर में विष्णु के वराह अवतार की मूर्ति स्थापित है। यहां पर वराह मूर्ति को वामन और नरसिंह अवतार के साथ ही देवी लक्ष्मी की मूर्ति भी है।
वराह मंदिर खजुराहो के पर्यटन स्थलों में से एक है और यहां पर्यटक आकर्षित होते हैं अपने धार्मिक आदर्शों को समझने और मंदिर की सुंदरता का आनंद लेने के लिए।
वराह मंदिर खजुराहो की भारतीय संस्कृति और परंपरा को दर्शाने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इसके अलावा, यह मंदिर भगवान विष्णु और उनके विभिन्न अवतारों के प्रति श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल भी है।
चौसठ योगिनियां –
खजुराहो के चौसठ योगिनियां मंदिर भारतीय स्थापत्य कला का अद्वितीय और प्रमुख स्थल हैं। यह मंदिर खजुराहो के प्रमुख मंदिरों में से एक है और इसे चौसठ (64) योगिनियों को समर्पित किया गया है। चौसठ योगिनियां मंदिर का निर्माण खजुराहो के प्राचीन समय में हुआ था, और इसका विस्तार 9वीं और 10वीं शताब्दी में हुआ था।
चौसठ योगिनियां मंदिर की विशेषता उसकी स्थापत्य कला में है। यह मंदिर खजुराहो के प्रमुख बाजार के पास स्थित है और इसका भवन अत्यंत सुंदरता से बनाया गया है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर उकेरी गई नक्काशियां और उसकी दीवारों पर बने नक्काशी इसे अद्वितीय बनाती हैं।
चौसठ योगिनियां मंदिर में योगिनियों की मूर्तियां स्थापित हैं, जो मां पार्वती की साथ में भगवान शिव की उपासना करती हैं। यहां पर वामाचारी संप्रदाय के अनुसार योगिनियां पूजा जाती हैं और उनके प्रति श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।
चौसठ योगिनियां मंदिर खजुराहो के पर्यटन के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यहां पर्यटक अपने धार्मिक आदर्शों को समझने और मंदिर की सुंदरता का आनंद लेने के लिए आते हैं।
चौसठ योगिनियां मंदिर खजुराहो की भारतीय संस्कृति और परंपरा को दर्शाने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इसके अतिरिक्त, यह मंदिर मां पार्वती और उनकी योगिनियों के प्रति श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल भी है।
लक्ष्मण मंदिर –
खजुराहो के लक्ष्मण मंदिर भारतीय स्थापत्य कला का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है। यह मंदिर खजुराहो के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है और भगवान राम के भाई, लक्ष्मण को समर्पित है। इसका निर्माण 10वीं शताब्दी में हुआ था।
लक्ष्मण मंदिर की विशेषता उसकी स्थापत्य कला में है। यह मंदिर खजुराहो के प्रमुख बाजार के पास स्थित है और इसका भवन अत्यंत सुंदरता से बनाया गया है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर उकेरी गई नक्काशियां और उसकी दीवारों पर बने नक्काशी इसे अद्वितीय बनाती हैं।
लक्ष्मण मंदिर में भगवान लक्ष्मण की मूर्ति स्थापित है, जो उनके भाई, भगवान राम के साथ हैं। यहां पर मंदिर के अंदर अनेक अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी हैं।
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लक्ष्मण मंदिर खजुराहो के पर्यटन स्थलों में से एक है और यहां पर्यटक आकर्षित होते हैं अपने धार्मिक आदर्शों को समझने और मंदिर की सुंदरता का आनंद लेने के लिए।
लक्ष्मण मंदिर खजुराहो की भारतीय संस्कृति और परंपरा को दर्शाने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इसके अतिरिक्त, यह मंदिर भगवान लक्ष्मण और उनके भाई भगवान राम के प्रति श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल भी है।